मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुद्दे पर जावेद अख्तर ने कहा- एक से ज्यादा बीवी रखने से मर्द और औरत के बीच समानता नहीं रहती है.

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– कॉमन सिविल कोड का मतलब महिला और पुरुष में समानता भी: जावेद अख्तर

– आज जिस तरह कट्टरवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह भारत का मिजाज नहीं है: जावेद अख्तर

मुंबई, दि. 05 दिसंबर 2022, सोमवार

जाने-माने शायर, गीतकार और फिल्म के पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को पूरी तरह से गलत बताया है. उन्होंने कहा, ‘अगर मुस्लिम पतियों को एक साथ 4 शादियां करने का अधिकार है तो महिलाओं को भी एक से ज्यादा पति रखने का अधिकार होना चाहिए।’ उन्होंने कहा, एक से अधिक पत्नी रखने से पुरुष और महिला के बीच समानता नहीं बनी रहती है.उन्होंने साफ शब्दों में कहा, ‘एक साथ एक से ज्यादा शादी करना देश के कानून और संविधान के बिल्कुल खिलाफ है.’

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जावेद अख्तर ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि कॉमन सिविल कोड का मतलब यह नहीं है कि सभी समुदायों के लिए एक कानून हो बल्कि इसका मतलब पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता भी है। दोनों के लिए समान मापदंड होने चाहिए। अख्तर ने कहा कि वे पहले से ही कॉमन सिविल कोड का पालन कर रहे हैं. जिनके मन में स्त्री-पुरूष की समानता का विचार है, उन्हें कॉमन सिविल कोड का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे और बेटी को संपत्ति में बराबर का हक देंगे।

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जावेद अख्तर ने कहा, ‘आज देश की समस्या यह है कि देश को सरकार माना जाता है और सरकार को देश माना जाता है. सरकारें आएं और जाएं लेकिन देश हमेशा रहेगा.’ उन्होंने कहा, ‘अगर कोई सरकार का विरोध करता है तो उसे देशद्रोही घोषित कर दिया जाता है। जब ऐसा नहीं होना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘देश का मिजाज पहले से ही लोकतांत्रिक रहा है। देश के लोगों का मिजाज हजारों साल से उदार रहा है। वह कभी भी कट्टरपंथी नहीं रहे। आज जिस तरह कट्टरवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह भारत का मिजाज नहीं है.’

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