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- बर्फ में हजारों साल तक दबे रहने वाला वायरस खतरनाक हो गया
- विनाशकारी साबित हो सकता है यह वायरस : वैज्ञानिक
- इंसानों, जानवरों और पेड़ों के लिए विनाशकारी होगा
रूस में साइबेरियन पर्माफ्रॉस्ट के नीचे दबे लगभग 50,000 साल पुराने जॉम्बी वायरस को फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने पुनर्जीवित किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वायरस के फिर से उभरने से एक और महामारी की आशंका बढ़ गई है. यह वायरस इंसानों, जानवरों और पेड़ों के लिए विनाशकारी हो सकता है। अभी तक दुनिया कोरोना महामारी से बाहर नहीं निकल पाई है और साथ ही जॉम्बी वायरस की चर्चा ने लोगों को चिंता में डाल दिया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि हजारों साल तक बर्फ में दबा यह वायरस कैसे वापस आया।
कैसे बढ़ सकता है जॉम्बी वायरस का खतरा
मिली जानकारी के मुताबिक फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च के माइक्रोबायोलॉजिस्ट जीन मैरी ओलम्पिक के नेतृत्व में एक अध्ययन किया गया. यह महसूस किया गया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्तरी गोलार्ध के 1/4 हिस्से को कवर करने वाला पर्माफ्रॉस्ट तेजी से पिघल रहा है। इससे लाखों साल से बर्फ में जमे कार्बनिक पदार्थ और विनाशकारी विषाणु निकल रहे हैं। इस कार्बनिक पदार्थ में पुनर्जीवित सेलुलर वायरस के साथ-साथ ऐसे वायरस भी शामिल हैं जो प्रागैतिहासिक काल से निष्क्रिय हैं। जिन विषाणुओं को पुनर्जीवित किया गया है, उन्हें मनुष्यों, जानवरों और यहां तक कि पेड़ों के लिए भी खतरा पैदा करने की आशंका है। अध्ययन सहकर्मी समीक्षा के लिए लंबित है।
ज़ोंबी वायरस सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है
अध्ययन के सह-लेखक और एक्स-मार्सिले विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीन-मिशेल क्लेवेरी ने 2014 और 2015 में पर्माफ्रॉस्ट में रहने वाले वायरस पर मूल अध्ययन के बाद से कई चेतावनियां जारी की हैं। निष्कर्ष बताते हैं कि पहले का अध्ययन गलत था और दुर्लभ ज़ोंबी वायरस सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा नहीं करता है। सच्चाई यह है कि वायरस लोगों के लिए विनाशकारी हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि सभी ज़ोंबी वायरस संक्रामक होने और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने की क्षमता रखते हैं।
भविष्य में महामारी का भय रहेगा
वैज्ञानिकों के मुताबिक, जॉम्बी वायरस उन 13 वायरस में से एक है, जिनका जीनोम अलग है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भविष्य में दुनिया को कोरोना जैसी कई अन्य महामारियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कभी-कभी परमाफ्रॉस्ट माइक्रोबियल को पिघलाने से ऐसे वायरस निकलते हैं जो लंबे समय तक निष्क्रिय रहते हैं। गौरतलब है कि 2013 में साइबेरिया में 30000 साल पुराना खतरनाक वायरस खोजा गया था। ऐसा माना जाता है कि पर्माफ्रॉस्ट के लगातार पिघलने से बर्फ में दबे वायरस निकल जाते हैं।
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